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सुन लेता हूं तने सबके कुछ लफ्ज़ नहीं कह पता हूं क

सुन लेता हूं तने सबके 
कुछ लफ्ज़ नहीं कह पता हूं
कैसे कह दूं जिंदा हूं मैं 
मैं मन ही मन, मर जाता हूं

मेरे मन की पीढ़ा को मैं
सहन नहीं कर पाता हूं
दर्द बहुत होता है दिल को
व्यक्त नहीं कर पाता हूं

मरता हूं जीता हूं
अल्फ़ाज़ को रोज़ सीता हूं
खो जाता हूं, राग बिरह मैं
मैं कवि नहीं बन पता हूं


कभी कभी मैं ख़ुद में ख़ुद
को ढूंढ नहीं पता हूं
चेहरे कितने मेरे फरेबी
मैं समझ नहीं पता हूं

©MS_HINDUSTANI
  #lonely #MSHINDUSTANI  Khushboo Gola Ehsaas"(ˈvamˌpī(ə)r)"Radio  Hardik Mahajan Rakhie.. "दिल की आवाज़" Anupriya