हम हिन्दुस्तानी विश्व में, नहीं किसी से कमतर हैं, शान से जीना, जिल्लत की ज़िन्दगी से बेहतर है। रूखी सूखी खाते हैं, किन्तु हाथ नहीं फैलाते हैं, मेहनत कश इंसान हैं हम, बड़े शान से जीते हैं। तनिक नहीं विश्राम है, आराम करना हराम है, जगत कल्याण हेतु, बनकर शिव विष भी पीते हैं। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 163 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।