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जीते थे कभी इश्क़ में, अमृत के जाम पीके, देने

जीते थे कभी इश्क़ में,
 अमृत  के जाम  पीके,

देने  वाले  को, रास 
नहीं आई मेरी खुशियां,

 ख़ुद अपने ही हाथों से
 उजाड़ दिया मेरा गुलशन।।

दर्द आक्रोश शिकायत 
तो  बहुत  है  लेकिन,

उसके  फैसले  का ,
विरोध करके भी क्या होगा।।

©Anuj Ray
  #जीते थे कभी इश्क़ में..
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Anuj Ray

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#जीते थे कभी इश्क़ में.. #शायरी

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