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ज़र्रों मे रहगुजर के चमक छोड़ जाऊँगा, पहचान अपनी


 ज़र्रों मे रहगुजर के चमक छोड़ जाऊँगा, 
 पहचान अपनी दूर तलक छोड़ जाऊँगा, 
 खामोशियों की मौत गंवारा नहीं मुझे, 
 शीशा हूँ टूटकर भी खनक छोड़ जाऊँगा। 
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©Chandra Pawan
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