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लोग खिड़कियों से झांकते हैं सामने कोई आता है क्या

लोग खिड़कियों से झांकते हैं
सामने कोई आता है क्या
मैं पीतल हूं कि सोना हूं
कान में आकर बताता है क्या
परख तो खुद ही करनी पड़ती है
इतिहास में झांककर देख लो
कोई घर सकुनी बसाता है क्या 
पितामह भीष्म बिदुर फेल हो गए
इनकी सीख रंग लाता है क्या
महाभारत का खूनी खेल कहां रुका
युद्ध कोई फैसला दिलाता है क्या
जो खुद जागना चाहता ही नहीं
उसके बारे में सोचते क्यों हो "सूर्य"
कुआं प्यासे के पास जाता है क्या
लोग खिड़कियों से झांकते हैं
सामने कोई आता है क्या

©R K Mishra " सूर्य "
  #चिंतन  Neel Sethi Ji Satyajeet Roy Rama Goswami Ashutosh Mishra