हम किनारों पर कहां तक गुजारा करते जिसे जाना ही था उसका क्या सहारा करते उसने ये ठान रखा था मुझसे रिहा होने का हम फिर भी पीछा करते तो वक्त जाया करते जिस तरह उसके हर लब्ज़ में तिलस्मी आसाइशें थी हम चुप चाप बैठ गए मोहोब्बत में खसारा करके उसने तोड़ा इस क़दर कि दिल तक नही छोड़ा सीने में हम मोहोब्बत भला क्या किसी से दोबारा करते।। .....3S✍️। ©Sachin Shukla Shukla G #Shayar #Shayari #najm #Break_up_day #Break #Death