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क्या मुमकिन हैं कि वहाँ मंदिर और मस्जिद साथ बन जाय

क्या मुमकिन हैं कि वहाँ मंदिर और मस्जिद साथ बन जायें,
इधर झुका दे सर उसके आगे, उधर इबादत में हाथ उठ जाये।।

वो वक़्त भी क्या रहेगा इक दफ़ा सोच के देखो,
इधर हो मंगला की आरती तो उधर सुबह की अज़ान हो जाये।।

कायम होगा सरहदों पर अमन भी उस रोज़,
गर हिन्दू मुसलमां को छोड़ कर सब इंसान हो जायें।।

 #NojotoQuote #hindi #urdu #duaa #indian
क्या मुमकिन हैं कि वहाँ मंदिर और मस्जिद साथ बन जायें,
इधर झुका दे सर उसके आगे, उधर इबादत में हाथ उठ जाये।।

वो वक़्त भी क्या रहेगा इक दफ़ा सोच के देखो,
इधर हो मंगला की आरती तो उधर सुबह की अज़ान हो जाये।।

कायम होगा सरहदों पर अमन भी उस रोज़,
गर हिन्दू मुसलमां को छोड़ कर सब इंसान हो जायें।।

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