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जो भी छूता हूँ आजकल सब मिट्टी हो जाता है स्वपन ,स्

जो भी छूता हूँ आजकल
सब मिट्टी हो जाता है
स्वपन ,स्वपन ही रह जाता है
जितना उठाने की कोशिश करता हूँ
उतना ही भरभराकर अस्तित्व 
मेरा गिर जाता है
मिट्टी का बूत हूँ
लड़ते-लड़ते ज़िन्दगी से
आखिर मिट्टी में ही मिल जाऊँगा
 शेष नहीं  रहेगा कुछ 
बस अवशेष बन कर रह जाऊंगा
दो गज जमीन के भीतर
ज़िन्दगी के तोड़े हुए हौंसले
दफन होगी
हाथ की लकीरों में जो थी नहीं
वो किस्मत दम तोड़ेगी
मिट्टी से बना हूँ आखिर
पर कोई मूरत ना बन पाया 
जो पूजा जाता देवालयों में
मैं तो तिरस्कृत हो कर
बस धूल बन कर रह जाऊँगा
खैर ,जो भी हो
मिट्टी में तो मिल पाऊँगा.-अभिषेक राजहंस सब मिट्टी हो जाता है #nojoto #nojotohindi
जो भी छूता हूँ आजकल
सब मिट्टी हो जाता है
स्वपन ,स्वपन ही रह जाता है
जितना उठाने की कोशिश करता हूँ
उतना ही भरभराकर अस्तित्व 
मेरा गिर जाता है
मिट्टी का बूत हूँ
लड़ते-लड़ते ज़िन्दगी से
आखिर मिट्टी में ही मिल जाऊँगा
 शेष नहीं  रहेगा कुछ 
बस अवशेष बन कर रह जाऊंगा
दो गज जमीन के भीतर
ज़िन्दगी के तोड़े हुए हौंसले
दफन होगी
हाथ की लकीरों में जो थी नहीं
वो किस्मत दम तोड़ेगी
मिट्टी से बना हूँ आखिर
पर कोई मूरत ना बन पाया 
जो पूजा जाता देवालयों में
मैं तो तिरस्कृत हो कर
बस धूल बन कर रह जाऊँगा
खैर ,जो भी हो
मिट्टी में तो मिल पाऊँगा.-अभिषेक राजहंस सब मिट्टी हो जाता है #nojoto #nojotohindi