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#गौरैया वो मेरे पुराने घर की छत में पड़े हुए गोलों

#गौरैया
वो मेरे पुराने घर की छत में पड़े हुए गोलों की दराजों में अपना नन्हा सा बसेरा बनाये रहती थीं। और मेरे घर मे उनका घर था, मेरे माता पिता भाई सब उनसे खुश रहा करते थे। बहुत प्यारी लगती थीं छोटी छोटी नन्हे नन्हे परों को इधर से उधर उड़ती फिरती रहतीं। और जब घर में कोई अनजान या बिल्ली कुत्ता आ जाता तो शोर मचाना शुरू कर देतीं। वह हम सब को बहुत अच्छे से जान गयीं थीं। मैं अक्सर उनके साथ खेला करता था। मम्मी पापा ने हमेशा सिखाया की जीवों पर दया करो उनसे प्रेम करो। मैं अक्सर जब भी खाना खाता तो छोटे छोटे टुकड़े जमीन पर फेंक दिया करता और वो फुदकती हुई आतीं और उन्हें उठा कर ले जातीं। ऐसे ही धीरे धीरे उन्हें मुझ पर इतना विश्वास हो गया कि थोड़े ही दिनों में वो मेरी थाली में मेरे साथ खाना खाने लगीं। बहुत प्यारी थीं वो। जब उनके बच्चे होते और वो शैतान बार बार घोंसले से नीचे आ जाया करते, और हम लोग थोड़ी देर उनसे खेलते और फिर उन्हें उनके घर में रख दिया करते। वो छोटे छोटे बच्चे जिनके पंख भी ठीक से नही निकले होते हमें बहुत प्यारे लगते। युहीं हमे उन पंछियों से प्यार हो गया था। मेरे अब तक के जीवन मे मैंने अनेकों जीव जंतुओं से प्यार किया है, उन्हें पाला है, उनके साथ रहा हूँ। पर गौरैया तो मेरे जीवन और मेरे घर का एक अभिन्न अंग जैसी थीं। क्योंकि उन्हें मैंने अपने बचपन से जवानी तक देखा।
 अभी कुछ साल पहले पुराने घर को हमने तोड़ दिया, नया घर बनाने के लिए। पर एक विचित्र घटना हुई, जब हम छत तोड़ कर ईंटें नीचे फेंक रहे थे तो गौरैया वहाँ स्व बार बार उड़ती। और कई गौरैया उन ईंटों के नीचे आकर मृत हो गईं। हमें बहुत दुख हुआ। पर शायद उन बेजुबानों को पता चल गया था कि अब ये घर खत्म हो रहा है और उनका आशियाँ भी। मैं बहुत दुखी था।
अब जब नए घर मे आये तो वो पूरा पक्का बन गया और उसमें उन बेजुबानों के लिए कोई जगह नही है। और ऐसा ही होता जा रहा है, की अब वो बेजुबान कहीं नजर ही नही आते। मैंने कई बार सोचा कि कुछ छोटे से लकड़ी के घर बना कर जगह टांग दूँ, ताकि वो नटखट गौरैया फिर से आये और मेरे साथ खेले।
🌹🌹🌹
🙏🙏🙏 #Birds #yaaden #Nojoto #Vipendra
#गौरैया
वो मेरे पुराने घर की छत में पड़े हुए गोलों की दराजों में अपना नन्हा सा बसेरा बनाये रहती थीं। और मेरे घर मे उनका घर था, मेरे माता पिता भाई सब उनसे खुश रहा करते थे। बहुत प्यारी लगती थीं छोटी छोटी नन्हे नन्हे परों को इधर से उधर उड़ती फिरती रहतीं। और जब घर में कोई अनजान या बिल्ली कुत्ता आ जाता तो शोर मचाना शुरू कर देतीं। वह हम सब को बहुत अच्छे से जान गयीं थीं। मैं अक्सर उनके साथ खेला करता था। मम्मी पापा ने हमेशा सिखाया की जीवों पर दया करो उनसे प्रेम करो। मैं अक्सर जब भी खाना खाता तो छोटे छोटे टुकड़े जमीन पर फेंक दिया करता और वो फुदकती हुई आतीं और उन्हें उठा कर ले जातीं। ऐसे ही धीरे धीरे उन्हें मुझ पर इतना विश्वास हो गया कि थोड़े ही दिनों में वो मेरी थाली में मेरे साथ खाना खाने लगीं। बहुत प्यारी थीं वो। जब उनके बच्चे होते और वो शैतान बार बार घोंसले से नीचे आ जाया करते, और हम लोग थोड़ी देर उनसे खेलते और फिर उन्हें उनके घर में रख दिया करते। वो छोटे छोटे बच्चे जिनके पंख भी ठीक से नही निकले होते हमें बहुत प्यारे लगते। युहीं हमे उन पंछियों से प्यार हो गया था। मेरे अब तक के जीवन मे मैंने अनेकों जीव जंतुओं से प्यार किया है, उन्हें पाला है, उनके साथ रहा हूँ। पर गौरैया तो मेरे जीवन और मेरे घर का एक अभिन्न अंग जैसी थीं। क्योंकि उन्हें मैंने अपने बचपन से जवानी तक देखा।
 अभी कुछ साल पहले पुराने घर को हमने तोड़ दिया, नया घर बनाने के लिए। पर एक विचित्र घटना हुई, जब हम छत तोड़ कर ईंटें नीचे फेंक रहे थे तो गौरैया वहाँ स्व बार बार उड़ती। और कई गौरैया उन ईंटों के नीचे आकर मृत हो गईं। हमें बहुत दुख हुआ। पर शायद उन बेजुबानों को पता चल गया था कि अब ये घर खत्म हो रहा है और उनका आशियाँ भी। मैं बहुत दुखी था।
अब जब नए घर मे आये तो वो पूरा पक्का बन गया और उसमें उन बेजुबानों के लिए कोई जगह नही है। और ऐसा ही होता जा रहा है, की अब वो बेजुबान कहीं नजर ही नही आते। मैंने कई बार सोचा कि कुछ छोटे से लकड़ी के घर बना कर जगह टांग दूँ, ताकि वो नटखट गौरैया फिर से आये और मेरे साथ खेले।
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