चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां सम्भाल ले तु सम्भाल ले की जल रही हैं आग जो कर रही हैं रोशनी जगाने के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ़ रहा ये कारवां थामले तु थामले की उठ रहे हैं हाथ जो बंध रही हैं मुठ्ठियाँ संघर्ष करने के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ़ रहा ये कारवां एक हो तु एक हो की लड रहे हैं लोग जो मिल रहें हैं एक सुर स्वाभिमान के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां साथ चल तु साथ चल की आ रहे है अन्याय के विरूद्ध जो कर रहे हैं क्रांतियाँ जम्हूरियत के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां साक्षी बन तु साक्षी बन की रच रहा है इतिहास जो हो रहा है बदलाव इन्सानियत के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां ✍✍प्रवीन देवचंद फुलझेले ©pravin fulzele #बढरहायेकारवां