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pravinfulzele9446
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pravin fulzele

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pravin fulzele

संघर्ष का नारा ही "जय भीम" हैं
हैं सबसे बुलंद जो आवाज वो "जय भीम" हैं
क्रांति की मशाल ही "जय भीम" हैं
हैं अकेले हजारों से टकराने का जो जज्बा दिल में वो "जय भीम" हैं
दुसरो के लिए लढने की ताकत ही "जय भीम" हैं
है डरते जो सिर्फ सुनकर वो नाम "जय भीम" हैं
समानता, स्वतंत्रता और न्याय की पहचान ही "जय भीम" हैं
हैं हक - अधिकारो के लिए जो हर मोड पर खडा़ वो "जय भीम" हैं
जिसकी शिक्षा से हुआ परिवर्तन वो "जय भीम" हैं

✍✍✍प्रवीन फुलझेले

©pravin fulzele #JaiBhim
#thankyouBabasaheb
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pravin fulzele

संघर्ष का नारा ही "जय भीम" हैं

हैं सबसे बुलंद जो आवाज वो "जय भीम" हैं

क्रांति की मशाल ही "जय भीम" हैं

हैं अकेले हजारों से टकराने का जो जज्बा दिल में वो "जय भीम" हैं

दुसरो के लिए लढने की ताकत ही "जय भीम" हैं

है डरते जो सिर्फ सुनकर वो नाम "जय भीम" हैं

समानता, स्वतंत्रता और न्याय की पहचान ही "जय भीम" हैं

हैं हक - अधिकारो के लिए जो हर मोड पर खडा़ वो "जय भीम" हैं

✍✍✍प्रवीन फुलझेले

©pravin fulzele जय भीम

जय भीम

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pravin fulzele

सूरज की किरण ओझल होने लगी हैं
हवायें मगरूर होकर बहने लगी हैं
महक मिट्टी की अब आने लगी हैं
लगता हैं शहर में बरसात होने लगी हैं

बादलों की लुकाछिपी होने लगी हैं
दिन में भी रात सी होने लगी हैं
शोला बनकर बिजलियाँ गिरने लगी हैं
लगता हैं शहर में बरसात होने लगी हैं

हलचल दिल में होने लगी हैं
धड़कन मेरी बढ़ने लगी हैं
याद मुझे तेरी आने लगी हैं 
लगता हैं शहर में बरसात होने लगी हैं

✍✍प्रवीन देवचंद फुलझेले

©pravin fulzele #RAIN_VECTOR
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pravin fulzele

 #MaiTumRain
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pravin fulzele

Alone  भीमा तुझ्या मताचे

भीमा तुझ्या मताचे जर पाच लोक असते
तलवारीचे तयाचे न्यारेच टोक असते.

वाणीत भीम आहे, करणीत भीम असता
वर्तन तुझ्या पिलांचे सारेच चोख असते.

गोळी खुशाल घाला फाशी खुशाल द्यारे
खोटे इथे खऱ्‍याचे दुसरेच टोक असते.

तत्वाची जाण असती, बिनडोक लोक नसते
सारे चलन तयांचे ते रोखठोक असते.

सदभाव एकतेचे जर अंतरात असते
चुकले कुणीही नसते सारेच एक असते.

वामन समान सारे स्वार्थाने अंध नसते
तुझिया क्रुतिप्रमाणे सारेच नेक असते

                 - लोकशाहीर वामनदादा कर्डक

©pravin fulzele #alone
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pravin fulzele

चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

सम्भाल ले तु सम्भाल ले
की जल रही हैं आग जो
कर रही हैं रोशनी
जगाने के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ़ रहा ये कारवां

थामले तु थामले
की उठ रहे हैं हाथ जो
बंध रही हैं मुठ्ठियाँ 
संघर्ष करने के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ़ रहा ये कारवां

एक हो तु एक हो
की लड रहे हैं लोग जो
मिल रहें हैं एक सुर
स्वाभिमान के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

साथ चल तु साथ चल
की आ रहे है अन्याय के विरूद्ध जो
कर रहे हैं क्रांतियाँ
जम्हूरियत के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

साक्षी बन तु साक्षी बन
की रच रहा है इतिहास जो
हो रहा है बदलाव
इन्सानियत के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

©pravin fulzele #Revolution
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pravin fulzele

चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

सम्भाल ले तु सम्भाल ले
की जल रही हैं आग जो
कर रही हैं रोशनी
जगाने के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ़ रहा ये कारवां

थामले तु थामले
की उठ रहे हैं हाथ जो
बंध रही हैं मुठ्ठियाँ 
संघर्ष करने के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ़ रहा ये कारवां

एक हो तु एक हो
की लड रहे हैं लोग जो
मिल रहें हैं एक सुर
स्वाभिमान के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

साथ चल तु साथ चल
की आ रहे है अन्याय के विरूद्ध जो
कर रहे हैं क्रांतियाँ
जम्हूरियत के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

साक्षी बन तु साक्षी बन
की रच रहा है इतिहास जो
हो रहा है बदलाव
इन्सानियत के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

✍✍प्रवीन देवचंद फुलझेले

©pravin fulzele #बढरहायेकारवां
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pravin fulzele

"बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले"

जिसने तुम्हें
गुलामी में जकड़ रखा है
इन्सान होने का हक़ छीना हैं
पशूओं से भी बदतर समझा हैं
उन रूढि - परंपराओं को, मान्यताओं को लात मारो
चलो उठो
प्रज्ञा - शील - करुणा पर आधारित
बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले

जिसने तुम्हें
स्त्री - पुरुष के भेद में बाट रखा हैं
बात बात में मैं उचा, तू नीचा का पाठ पढ़ाया हैं
विषमतावाद का विचार दिमाग में पिरोया हैं
उन विचारधारा को, बातों को मिटा दो
चलो उठो
न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित
बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले

जिसने तुम्हें
सारे अधिकारों से बहिष्कृत किया हैं
समाज व्यवस्था में शूद्र - नीच माना हैं
पाखंड आडंबर और कर्मकांड के जाल में फसा रखा हैं
उन धर्मग्रंथों को, किताबों को जला डालो
चलो उठो
बुद्धिप्रामान्यवाद, तर्कवाद और विज्ञानवाद पर आधारित
बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले

जिसने तुम्हें
धर्म जात पात के नाम पर छला हैं
हमेशा अज्ञान के अंधेरे में रखा हैं
निराशावादी जिवन जीने पर मजबूर किया हैं
उन अज्ञान की जंजीरों को, जात पात के बंधन को तोड दो
चलो उठो
अत्त दीप भव, बहुजन हिताय बहुजन सुखाय और सब्बमंगल की भावना पर आधारित
बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले

✍✍✍प्रवीन देवचंद फुलझेले

©pravin fulzele #बुद्ध_धम्म_संघ_की_शरण_में_चले
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pravin fulzele

#doughtersday
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pravin fulzele

#daughters_day
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