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मनहरण घनाक्षरी :- देख-देख लुट गये , फिर हम मिट गय

मनहरण घनाक्षरी :-

देख-देख लुट गये , फिर हम मिट गये ,
भोली-भाली सजनी के , सुन लो शृंगार में ।
याद नहीं नूँन तेल  , रहा सब कुछ झेल ,
माँगे क्रीम पाऊडर , वह उपहार में ।
डाल गले बाँह हार , करे खूब मनुहार ,
कहे ऐसी प्रीत पिया , मिलें न बाजार में ।
करें मीठी-मीठी बातें , कहे क्यूँ है छोटी रातें ,
लगता है काम टेढ़ा , आया है विचार में ।। -१


पूछ मत बात कुछ , याद मुझे सब कुछ ,
ऐसा उसने जलवा , दिखाया दीदार में ।
नशा ऐसा चढ़ रहा , पिये बिन झूम रहा ,
जिसका उतार बस , है उसके प्यार में ।
सुन उसकी पायल , ये दिल होता घायल ,
सुन लगे मीठी बोली , अब तकरार में ।
वह जो पसंद करे , मन में आनंद भरे ,
दिल का दे दूँ तोहफा , फिर इजहार में ।।

०२/११/२०२३      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-

देख-देख लुट गये , फिर हम मिट गये ,
भोली-भाली सजनी के , सुन लो शृंगार में ।
याद नहीं नूँन तेल  , रहा सब कुछ झेल ,
माँगे क्रीम पाऊडर , वह उपहार में ।
डाल गले बाँह हार , करे खूब मनुहार ,
कहे ऐसी प्रीत पिया , मिलें न बाजार में ।
मनहरण घनाक्षरी :-

देख-देख लुट गये , फिर हम मिट गये ,
भोली-भाली सजनी के , सुन लो शृंगार में ।
याद नहीं नूँन तेल  , रहा सब कुछ झेल ,
माँगे क्रीम पाऊडर , वह उपहार में ।
डाल गले बाँह हार , करे खूब मनुहार ,
कहे ऐसी प्रीत पिया , मिलें न बाजार में ।
करें मीठी-मीठी बातें , कहे क्यूँ है छोटी रातें ,
लगता है काम टेढ़ा , आया है विचार में ।। -१


पूछ मत बात कुछ , याद मुझे सब कुछ ,
ऐसा उसने जलवा , दिखाया दीदार में ।
नशा ऐसा चढ़ रहा , पिये बिन झूम रहा ,
जिसका उतार बस , है उसके प्यार में ।
सुन उसकी पायल , ये दिल होता घायल ,
सुन लगे मीठी बोली , अब तकरार में ।
वह जो पसंद करे , मन में आनंद भरे ,
दिल का दे दूँ तोहफा , फिर इजहार में ।।

०२/११/२०२३      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-

देख-देख लुट गये , फिर हम मिट गये ,
भोली-भाली सजनी के , सुन लो शृंगार में ।
याद नहीं नूँन तेल  , रहा सब कुछ झेल ,
माँगे क्रीम पाऊडर , वह उपहार में ।
डाल गले बाँह हार , करे खूब मनुहार ,
कहे ऐसी प्रीत पिया , मिलें न बाजार में ।

मनहरण घनाक्षरी :- देख-देख लुट गये , फिर हम मिट गये , भोली-भाली सजनी के , सुन लो शृंगार में । याद नहीं नूँन तेल  , रहा सब कुछ झेल , माँगे क्रीम पाऊडर , वह उपहार में । डाल गले बाँह हार , करे खूब मनुहार , कहे ऐसी प्रीत पिया , मिलें न बाजार में । #कविता