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यादें बीते कल की देखो , नश्तर रोज चुभोता है ।  छुप

यादें बीते कल की देखो , नश्तर रोज चुभोता है । 
छुप-छुप कर यह दिल भी देखो , अंदर-अंदर रोता है ।।
यादें बीते कल की देखो .....

याद कभी जब आता बचपन, खुशियों से मन भर जाता ।
टूटी फूटी चीजों से फिर , देख खिलोना बन जाता ।।
अब तो उन्हीं खिलौनो को वह , मानव आज सँजोता है ।
यादें बीते कल की देखो ...

देखो घर के पिछवाड़े कल , हम जो बाग लगाये थे ।
देते वह अब फूल सुना है , सुनकर हम ललचाये थे ।।
फिर तू उनके यादों की क्यूँ , माला नया पिरोता है ।।
यादें बीते कल की देखो ....

आने जाने वाले कल को , कौन पकड़ कब पाता है ।
उनकी धुँधली यादों से तो , मन ही सब बहलाता है ।।
बैठे-बैठे मन में प्राणी , पल वही दोहराता है ।
यादें बीते कल की देखो ....

यादें बीते कल की देखो , नश्तर रोज चुभोता है । 
छुप-छुप कर यह दिल भी देखो , अंदर-अंदर रोता है ।।

०४/०१/२०२४      -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR यादें बीते कल की देखो , नश्तर रोज चुभोता है । 

छुप-छुप कर यह दिल भी देखो , अंदर-अंदर रोता है ।।

यादें बीते कल की देखो .....


याद कभी जब आता बचपन, खुशियों से मन भर जाता ।
यादें बीते कल की देखो , नश्तर रोज चुभोता है । 
छुप-छुप कर यह दिल भी देखो , अंदर-अंदर रोता है ।।
यादें बीते कल की देखो .....

याद कभी जब आता बचपन, खुशियों से मन भर जाता ।
टूटी फूटी चीजों से फिर , देख खिलोना बन जाता ।।
अब तो उन्हीं खिलौनो को वह , मानव आज सँजोता है ।
यादें बीते कल की देखो ...

देखो घर के पिछवाड़े कल , हम जो बाग लगाये थे ।
देते वह अब फूल सुना है , सुनकर हम ललचाये थे ।।
फिर तू उनके यादों की क्यूँ , माला नया पिरोता है ।।
यादें बीते कल की देखो ....

आने जाने वाले कल को , कौन पकड़ कब पाता है ।
उनकी धुँधली यादों से तो , मन ही सब बहलाता है ।।
बैठे-बैठे मन में प्राणी , पल वही दोहराता है ।
यादें बीते कल की देखो ....

यादें बीते कल की देखो , नश्तर रोज चुभोता है । 
छुप-छुप कर यह दिल भी देखो , अंदर-अंदर रोता है ।।

०४/०१/२०२४      -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR यादें बीते कल की देखो , नश्तर रोज चुभोता है । 

छुप-छुप कर यह दिल भी देखो , अंदर-अंदर रोता है ।।

यादें बीते कल की देखो .....


याद कभी जब आता बचपन, खुशियों से मन भर जाता ।

यादें बीते कल की देखो , नश्तर रोज चुभोता है ।  छुप-छुप कर यह दिल भी देखो , अंदर-अंदर रोता है ।। यादें बीते कल की देखो ..... याद कभी जब आता बचपन, खुशियों से मन भर जाता । #कविता