आज क्या लिखूं निशब्द हूँ मैं इस घिनौने कृत्य से स्तब्ध हूँ मैं निराश हूँ आज अपने हिंदुस्तानी होने पे निराश हूँ आज पुलवामा में अपने जवानों के एक कहानी होने पे सुबह तक जिनके कंधो पे तिरंगा था शाम ढले उनका ही शरीर चीथड़ों में आधा नंगा था कैसे देंगे हम जवाब इन जवानों के परिवार को इस शहादत का बदला तो लेना होगा सरकार को वो अकेला लड़ ना पायेगा हमें भी वार करना होगा इन कुत्तो के सर काटने को अब हमें ही तलवार बनना होगा ""तुम राख हो चले हो मेरे जवानों वो उसी राख़ से बारूद बनायेगा कसम है तुम्हारे खून के एक एक कतरे की वो उसी बारूद से एक एक आतंकी को ज़िंदा जलायेगा"" ©कपिल #NojotoQuote श्रद्धांजलि