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# "सामने तो आओ क्यों सताते हो, एक | English Poetry

"सामने तो आओ क्यों सताते हो,
एक साया सा मुझमें मंडराते हो;
थम-थम के चलने लगती है साँस मेरी,
तो धड़कन बन मेरे दिल को धड़काते हो!

महसूस करके देखती हूँ तो,
ख़ामोशी सा मुझमें पसर जाते हो;
बढ़ाकर मेरी अँखियों की प्यास,
anjalisinghal5635

Anjali Singhal

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New Creator
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"सामने तो आओ क्यों सताते हो, एक साया सा मुझमें मंडराते हो; थम-थम के चलने लगती है साँस मेरी, तो धड़कन बन मेरे दिल को धड़काते हो! महसूस करके देखती हूँ तो, ख़ामोशी सा मुझमें पसर जाते हो; बढ़ाकर मेरी अँखियों की प्यास, #Poetry #स्वरचितरचना #AnjaliSinghal

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