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पाने को आतुर तुमको, पर मिलता नहीं मुकाम..! बलि देख

पाने को आतुर तुमको,
पर मिलता नहीं मुकाम..!
बलि देखता अरमानों की,
यूँ ही रोज़ सवेरे शाम..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #boatclub #mukaam