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हैरत है ये ढलती शामे, ईन अंधेरों के आगाज से कहीं क

हैरत है ये ढलती शामे, ईन अंधेरों के आगाज से कहीं
क्यु हसीन चांद भी हरबार उसीके इन्तज़ार में रहता है ? ढलती शाम 😍....
हैरत है ये ढलती शामे, ईन अंधेरों के आगाज से कहीं
क्यु हसीन चांद भी हरबार उसीके इन्तज़ार में रहता है ? ढलती शाम 😍....