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मस्त मदकल बहती बयार, फूलों से हो गुलजार धरती रही प

मस्त मदकल बहती बयार, फूलों से हो गुलजार
धरती रही पुकार, महीनों रे, फागुन को दिलदार

रंगों, छंदों और गुलालों की छायी मादक बहार
होली का आया त्यौहार, साजन आ जाये मेरे द्वार

मन में फूटे रंगीले गुबार, तीखे नयनों का होगा प्रहार
भीगी मस्तियों के प्यार से, साजन को रंग दूं इस बार

रंग रसिया, मन बसिया, गाये पपिहा नाचे मन मोर
होली आई रे बालमा, रंग दे साजन, पिचकारी मार

प्रेम के रंगो का सरोवर में गुलालों का लगा दे अम्बार
मुस्कानों का दे दबाब, गालों पर कर प्यार रंग का प्रहार 

"कान्हा " बन, रंग रसिया, भीगा दे मन की मेरी अंगिया
 पल्लू में समाई जवानी, बन गई आज मेरी चंचल सखियां

आज की जवानी कल न हो साजन, रंगो सा साथ निभाना
मेरे हर सपने में आना, हर आलिंगन में रंगोत्सव बन रहना
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali
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