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-वो पल भी कितना हसीन था- तपती धूप थोरा सन्नाटा पस

-वो पल भी कितना हसीन था-

तपती धूप थोरा सन्नाटा पसरा था
फ़ैला तनीक ख़ोफ था
मासला‌ यूँ था तू सामने था
वो पल भी कितना हसीन था....
देखा जब तुझे था
आँखों ही आँखों का मामला था 
कुछ तो खास था तू मेरे पास था
वो पल भी कितना हसीन था....
तू डर से पनाह था 
तेरी रुख़सत बयां थी
फ़ासला दूरीई का सा था
 कुछ तो बात था
वो पल भी कितना हसीन था....
वो हमारी नज़रों से नज़रें मिलाना तुम्हारा
वो शर्म-हाया-लज्जे से पलक झपकाना हमारा
उस दिन मानो इश्क़ से मुलाक़ात हुआ हमारा
क्षण भर का जो साथ तुम्हारा था
वो पल भी कितना हसीन था....
कहीं से जुदाई का कारोबार लिए आया था
बातों बातों में हमने जो आँखें पढ़ा था
आशा उम्मीद किस्सों ख़्यालों 
वो दर्द से भरा आँख जैसे ख़टक रहा मेरी निगाहों में था
मोहब्बत का वो दरमियान ही मुख्तलिफ़ था
वो पल भी कितना हसीन था....
बस मुतवका कुछ और थी हुआ कुछ और था
दो मुसाफिरों का मिलन था
नज़दीक तू था
होंठों पर मुस्कान था
वो पल भी कितना हसीन था....!

©Payal Pathak #lovedream

#wetogether
-वो पल भी कितना हसीन था-

तपती धूप थोरा सन्नाटा पसरा था
फ़ैला तनीक ख़ोफ था
मासला‌ यूँ था तू सामने था
वो पल भी कितना हसीन था....
देखा जब तुझे था
आँखों ही आँखों का मामला था 
कुछ तो खास था तू मेरे पास था
वो पल भी कितना हसीन था....
तू डर से पनाह था 
तेरी रुख़सत बयां थी
फ़ासला दूरीई का सा था
 कुछ तो बात था
वो पल भी कितना हसीन था....
वो हमारी नज़रों से नज़रें मिलाना तुम्हारा
वो शर्म-हाया-लज्जे से पलक झपकाना हमारा
उस दिन मानो इश्क़ से मुलाक़ात हुआ हमारा
क्षण भर का जो साथ तुम्हारा था
वो पल भी कितना हसीन था....
कहीं से जुदाई का कारोबार लिए आया था
बातों बातों में हमने जो आँखें पढ़ा था
आशा उम्मीद किस्सों ख़्यालों 
वो दर्द से भरा आँख जैसे ख़टक रहा मेरी निगाहों में था
मोहब्बत का वो दरमियान ही मुख्तलिफ़ था
वो पल भी कितना हसीन था....
बस मुतवका कुछ और थी हुआ कुछ और था
दो मुसाफिरों का मिलन था
नज़दीक तू था
होंठों पर मुस्कान था
वो पल भी कितना हसीन था....!

©Payal Pathak #lovedream

#wetogether
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Payal Pathak

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