दुनिया संवारने की कूवत है । स्त्री मां के रुप में देवी की मूरत है ।। बहन के रूप में सहकार । बेटी के रूप में घर आंगन की बहार ।। पत्नी के रूप में घर की लक्ष्मी । मित्र के रूप में राज़दार सच्ची ।। ऐसे पावन रूपों में हुआ स्त्री अवतार । स्त्री ही जपती घर के संस्कार ।। अफ़सोस पुरुषों ने समझी नहीं स्त्री की मनःस्थिति । इसीलिये कुछ पुरूषों द्वारा जारी स्त्री की दुर्गती ।। जब तक दुनिया देंगी नहीं स्त्री को यथोचित सम्मान । दुनिया को मिल न पायेगा सुकून समाधान ।। नमस्कार लेखकों। ✨ त्याग का दूसरा नाम नारी सहनशीलता का अभिप्राय नारी फिर क्यों पुरुषों से कमतर समझते उसे अन्नपूर्णा है तो फिर चण्डी भी है नारी । हमारे #rzhindi पोस्ट के साथ collab करें और अपने विचार व्यक्त करें।