ये :::चाहतो के :::सिलसिले::::🍂🍂🍂 ::::और #बेखुदी:::: जरा::: जरा:::!! वो मुख्तसर सी ख्वाहिशें🍂🍂🍂 और #आशिकी :::जरा ::जरा:::!! ये अल्फाजों के शोर हैं🍂🍂🍂 और :::#ख़ामोशी ::::ज़रा ज़रा:::: कभी #हिज्र में भी करार है🍂🍂🍂 कभी #धड़कनों से भी #उलझन::::!! वो #प्यारी सी #सूरत है🍂🍂🍂 और #हया भी :है:जरा ::::जरा:::::!! न #होश है न #खुद की #खबर. 🍂🍂🍂 और दिवानगी ज़रा जरा❤::::::❤️ ©shaanvi