मैं सह लूँ,इंतज़ार का लम्हा, तुम यादों का कोई चाँद टांक दो। उन अशोक के दरख्तों पर, जो झूम रहे है,तेरे आने की खबर से। वो जुगनू देखो,जगमग घूमने लगे है। ख्वाबो के आसमान में उम्मीदों के बादल छा गए है। बस तेरी जुल्फ खुल जाए तो, आंखों से बह निकलेगा बरसात, ओर प्रेम की जमीन गीली कर जाएगी शबनम।। फूल खिलने तक बस ठहर जाना तुम। ताकि जब तुम जाओगे , में समेट लूंगा खुशबू, अगले जन्म के लिए।। अपनी चाहत की बस यही एक रस्म, हमे बांधे रखेगी जन्म जन्म।। मैं सह लूँ मृत्यु का कोप भी, तुम अगले जन्म ही सही, मिलने का मुझे वादा करो।। #Right2Write