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फिर वही बरसात का मौसम फिर वही सड़कों का कीचड़ मुहँ फ

फिर वही बरसात का मौसम
फिर वही सड़कों का कीचड़
मुहँ फाड़े गहरे गडढे, गटर
और उन गड्ढ़ों पर रगड़ते जीवन

नालियों से निकलता गन्दा पानी
मन्दिर घरों तक गटर का पानी
कहीं गिरते लोग इन गड्ढ़ों में  
कई होते ज़ख़्मी इन गड्ढ़ों में

सोता नगर निगम इन गटर में
सोता सारा प्रशासन इन गड्ढ़ों में
पर नेताओं की सड़क है चकाचक
उड़ते आते आसमान से खटाखट

हैरानी है कहाँ जा रहा है देश
अन्धे बहरों का है क्या ये देश
बनी नहीं सड़कें सत्तर सालों में
बदल जाती हैं सड़कें गन्दे नालों में

हर साल का यही है रोना 
रोता सड़कों का हर कोना 
पर शायद अब ये आदत हो गयी है
इस हाल से गुजरने की रिवायत हो गयी है

फिर भी हम आगे बढ़ रहे हैं
दुनिया को चुनौती दे रहे हैं
यही है शायद हाल हमारा
ऐसे ही चलेगा क्या देश हमारा.....
©pushpinder_1 रोती सड़कें
फिर वही बरसात का मौसम
फिर वही सड़कों का कीचड़
मुहँ फाड़े गहरे गडढे, गटर
और उन गड्ढ़ों पर रगड़ते जीवन

नालियों से निकलता गन्दा पानी
मन्दिर घरों तक गटर का पानी
कहीं गिरते लोग इन गड्ढ़ों में  
कई होते ज़ख़्मी इन गड्ढ़ों में

सोता नगर निगम इन गटर में
सोता सारा प्रशासन इन गड्ढ़ों में
पर नेताओं की सड़क है चकाचक
उड़ते आते आसमान से खटाखट

हैरानी है कहाँ जा रहा है देश
अन्धे बहरों का है क्या ये देश
बनी नहीं सड़कें सत्तर सालों में
बदल जाती हैं सड़कें गन्दे नालों में

हर साल का यही है रोना 
रोता सड़कों का हर कोना 
पर शायद अब ये आदत हो गयी है
इस हाल से गुजरने की रिवायत हो गयी है

फिर भी हम आगे बढ़ रहे हैं
दुनिया को चुनौती दे रहे हैं
यही है शायद हाल हमारा
ऐसे ही चलेगा क्या देश हमारा.....
©pushpinder_1 रोती सड़कें