इश्क नज़रों का एक धोखा है, करो सौ बार किसने रोका है, बे-ख़याली में भी ख़याल तेरा, कोई उल्फ़त है याकि झोंका है, दिन है तन्हा उदास रात मेरी, मिल तो लो आज यही मौका है, ओस की बूँद सी है लावारिस, खड़ी साहिल पे एक नौका है, पीले फूलों सी चुनर है धानी, हरा आँचल ये गेंहू जौ का है, बावला मन उदासी और बेचैनी, आते-जाते हुए लोगों ने टोका है, मिला मरहम नहीं दर्द-ए-दिल का, टीसता जिग़र का हर फोंका है, प्यार ख़ुद से हुआ जबसे 'गुंजन', मिला सुकून रंग चोखा है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #किसने रोका है#