ताउम्र रहा मैं ये सोचता रहा ज़ौक नुमाया क्यूं तेरा मैं दयार ए ग़म का मुरीद था तेरे बाद क्या मैं सोचता....! प्रीति #बस_यूँ_ही #yqbhaijan ज़ौक: चाहत नुमाया : ज़ाहिर दयार : शहर