जो निडर हो कँटीले पथ पर चला, उसने अन्ततः मंजिल को पाया है। जो साहसी हो अंतिम साँस लड़ा, उसने विजय पताका लहराया है। जिसने अनासक्त हो सुख-दुख सहा, उसने उज्ज्वल भविष्य बनाया है। जिसने मेहनत की खून-पसीना बहा, उसने सचमुच इतिहास रचाया है। जिसने प्रेमभाव का पाठ पढ़ाया , उसको जग ने सदा अपनाया है। जो निःस्वार्थ हो सबके काम आया, वह सर्वदा सबके मन को भाया है। जिस-जिसने सदा सत्य का साथ दिया, वह राजा हरीशचंद्र कहलाया है। जिस -जिसने निज वतन से की गद्दारी, वह जयचंद की संज्ञा पाया है। #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक