धरे कटि पे कमोरी चली यमुना की ओरी
हरी चूड़ियां कमाल रे बाहें गोरी गोरी
रूप लागे है अनूप जैसे शरद की धूप
मुख पारिजात सम है चाँद में चकोरी
बिन्दी माथ पे है लाल केश करते कमाल
रंग साड़ी वाले में खोये साधू,अघोरी
शूल चूम रहा पाँव देता दिल में घाव
अरु पागल करे आज गाँव वाली छोरी #शायरी#SKG