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कौन किसके साथ किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाह

कौन किसके साथ 
किस प्रकार का जीवन 
व्यतीत करना चाहता है 
यह कोई अन्य तय 
नहीं कर सकता,
जीवन का अधिकार केवल
संवैधानिक ही नहीं बल्कि
नैसर्गिक भी है ।
अगर किसी देश के विधान
में यह अधिकार वर्णित 
नहीं भी है तब भी 
प्राकृतिक अधिकारों का
हनन कदापि नहीं किया
जा सकता,लैंगिकता के 
आधार पर भी नहीं....।
                      - शकुन

©Shakuntala "Shakun" #समलैंगिकता
कौन किसके साथ 
किस प्रकार का जीवन 
व्यतीत करना चाहता है 
यह कोई अन्य तय 
नहीं कर सकता,
जीवन का अधिकार केवल
संवैधानिक ही नहीं बल्कि
नैसर्गिक भी है ।
अगर किसी देश के विधान
में यह अधिकार वर्णित 
नहीं भी है तब भी 
प्राकृतिक अधिकारों का
हनन कदापि नहीं किया
जा सकता,लैंगिकता के 
आधार पर भी नहीं....।
                      - शकुन

©Shakuntala "Shakun" #समलैंगिकता