कौन किसके साथ किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहता है यह कोई अन्य तय नहीं कर सकता, जीवन का अधिकार केवल संवैधानिक ही नहीं बल्कि नैसर्गिक भी है । अगर किसी देश के विधान में यह अधिकार वर्णित नहीं भी है तब भी प्राकृतिक अधिकारों का हनन कदापि नहीं किया जा सकता,लैंगिकता के आधार पर भी नहीं....। - शकुन ©Shakuntala "Shakun" #समलैंगिकता