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मन बीणा के तार को किसने छेड़ा आज, स्पंदित हो गया ध

मन बीणा के तार को किसने छेड़ा आज,
स्पंदित हो गया धड़कन हर का साज ।
थिरक उठा मन प्रीत सरगम की धून पर,
बांध लिया घुंघरू छोड़ा रिवाज़ का लाज।

नाचे मयूरा मेघों की डफली की धून पर ,
जवां हुई तलैया आया पावस सुन कर ।
बूंदों की सरगम पर झूम रही फिजाएँ,
गुनगुना रही पवन लताओं संग झूम झूम कर।

अम्बिका मल्लिक ✍️

©Ambika Mallik
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