बद–क़िस्मत दिल जो था नादान भूल कर मोहब्बत कर बैठा उसी से जो था ही नहीं कभी उसके क़िस्मत में। बद–क़िस्मत दिल चाहा उसी को दिन रात हर पल हर घड़ी खोए रहा उसके ही खयालों में जो ना था उसके नसीब में। बद–क़िस्मत दिल पाना चाहा सिर्फ़ उसी को शामिल करना चाहा उसे अपनी ज़िन्दगी में जो ना था उसके तक़दीर में। बद–क़िस्मत दिल बेवक्त बेवजह लड़ता रहा कभी दुनिया से तो कभी ख़ुद से चोट पहुंँचाता रहा अपने आप को जो ना था उसके मुकद्दर में। — % & ♥️ Challenge-828 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।