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आँखों ने अमृत छलकाया था कानों की बाली को होंठो ने

आँखों ने अमृत छलकाया था
कानों की बाली को होंठो ने 
छूकर ही सुकून पाया था
तुम्हारे मखमली बालों का जादू 
सच में अलग ही एक माया है 
जब छूने उँगलियाँ बढ़ी 
जलने से डरकर कांपति रही
कमरे की बढ़ती गर्मी में 
गला सुख गया प्यास बड़ गई
रोम रोम से प्रेम छलकता गया
प्यास, होंठ तरबतर हो गई

©Dhaneshdwivediwriter
  कहीं भी दिल नहीं लगता मेरा
एक तुम पर ही अटक जाता है 
तुम याद आते हो फिक्र होती है
आँखों में तस्वीर नजर आती है 
बात करते हो खुशी होती है 
जब मिलते हो गले लगते हो 
तो मैं खुद को भूल जाता हूँ 
सामने जब होते हो बाहों मे

कहीं भी दिल नहीं लगता मेरा एक तुम पर ही अटक जाता है तुम याद आते हो फिक्र होती है आँखों में तस्वीर नजर आती है बात करते हो खुशी होती है जब मिलते हो गले लगते हो तो मैं खुद को भूल जाता हूँ सामने जब होते हो बाहों मे #लव

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