लहज़े ज़रा खराब है मेरे पर सच मानो चेहरे पर कोई नक़ाब नहीं मेरे, बेबाक सी हो जाती हूं कभी-कभी पर अदब से रहना जाना है मैंने, ठोकरें खाई है बहुत मगर ख़ुद को ख़ुद ही संभाला है मैंने, अपनों में गैर और गैरों में अपने को भी पहचाना है मैंने, ख़्वाबों में जीना फिर हक़ीक़त में लौट आने का हुनर भी सीखा है मैंने, खुशियां सबमें बांटना पर ग़म को ख़ुद में समेटना बख़ूबी जाना है मैंने। Naina ki Nazar se jindgi#lahza#shayari#Naina ki Nazar se