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उम्मीद का दिया बरसो से हथेली पर जला रखा है, जमाने

उम्मीद का दिया बरसो से हथेली पर जला रखा है, जमाने की वहशत से खुद को बचा रखा है..
वो जो मुझे ठुकरा रहा है उसने, अपनी किस्मत को अपने पैरो में दबा रखा है..
कल कुछ लोगो ने काँटे रख दिये मेरी दहलीज पर, वो क्या जाने मैनें अपना आँगन काँटो से सजा रखा है..
मैं क्यूँ करूँ बुतपरिश्ती न मरने का खौफ मुझे, अपने कातिल को अपना खुदा बना रखा है..
एक मैं हूँ जो जख्मो पर मरहम नही रखता 'अभिषेक', एक वो है जिसने फिर से तीर कमान में लगा रखा है✒ #jakhmi
उम्मीद का दिया बरसो से हथेली पर जला रखा है, जमाने की वहशत से खुद को बचा रखा है..
वो जो मुझे ठुकरा रहा है उसने, अपनी किस्मत को अपने पैरो में दबा रखा है..
कल कुछ लोगो ने काँटे रख दिये मेरी दहलीज पर, वो क्या जाने मैनें अपना आँगन काँटो से सजा रखा है..
मैं क्यूँ करूँ बुतपरिश्ती न मरने का खौफ मुझे, अपने कातिल को अपना खुदा बना रखा है..
एक मैं हूँ जो जख्मो पर मरहम नही रखता 'अभिषेक', एक वो है जिसने फिर से तीर कमान में लगा रखा है✒ #jakhmi