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की याद रख ऐ ज़िन्दगी, मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

तो क्या हुआ जो वक़्त अभी ये अपने साथ नही,
माना करने को अभी कोई फ़रियाद नही,
पर वक़्त के हाल को कौन जान पाया है,
मुट्ठी में समेट कौन इसे कैद कर पाया है, 
इसका क्या है, ये तो फिर पलट जायेगा,
उठा गोद में अपने, खुद मुझे मेरे मुक्कदर तक पहुंचाएगा।
परख ले जितना परखना तुझे,
फिर मिलेगा ये मौका नही।

की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

माना!! अभी हार का पलड़ा थोड़ा भारी है,
जितने की कोशिश फिर भी जारी है।
अँधेरे की डगर पे खड़ा मैं, उजाले तक मुझे यह ही ले जायेगा,
छटेंगे बादल सारे, सुरज फिर आग उगलता नज़र आएगा।
लगा दम और रोक ले मुझे,
फिर कदम ये मेरे थमने नही।

की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

हाँ है यह राह काँटों भरी, इसमें फूल किसने देखा है,
घाव ये अपने मैंने भीतर की ताप में सेका है।
मंज़िल की जिसे लालच नही, उसके हौसले तू क्या तोड़ पायेगा,
मुझे बिखेरने की चाहत में, तू एक दिन खुद बिखर जाएगा।
आजमा अपनी किस्मत, तू देख मुझे,
फिर पछताए सिवा तेरा कोई गुजारा नही।

की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

©अंकित कुमार

 read in the caption..

की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

तो क्या हुआ जो वक़्त अभी ये अपने साथ नही,
माना करने को अभी कोई फ़रियाद नही,
पर वक़्त के हाल को कौन जान पाया है,
की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

तो क्या हुआ जो वक़्त अभी ये अपने साथ नही,
माना करने को अभी कोई फ़रियाद नही,
पर वक़्त के हाल को कौन जान पाया है,
मुट्ठी में समेट कौन इसे कैद कर पाया है, 
इसका क्या है, ये तो फिर पलट जायेगा,
उठा गोद में अपने, खुद मुझे मेरे मुक्कदर तक पहुंचाएगा।
परख ले जितना परखना तुझे,
फिर मिलेगा ये मौका नही।

की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

माना!! अभी हार का पलड़ा थोड़ा भारी है,
जितने की कोशिश फिर भी जारी है।
अँधेरे की डगर पे खड़ा मैं, उजाले तक मुझे यह ही ले जायेगा,
छटेंगे बादल सारे, सुरज फिर आग उगलता नज़र आएगा।
लगा दम और रोक ले मुझे,
फिर कदम ये मेरे थमने नही।

की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

हाँ है यह राह काँटों भरी, इसमें फूल किसने देखा है,
घाव ये अपने मैंने भीतर की ताप में सेका है।
मंज़िल की जिसे लालच नही, उसके हौसले तू क्या तोड़ पायेगा,
मुझे बिखेरने की चाहत में, तू एक दिन खुद बिखर जाएगा।
आजमा अपनी किस्मत, तू देख मुझे,
फिर पछताए सिवा तेरा कोई गुजारा नही।

की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

©अंकित कुमार

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की याद रख ऐ ज़िन्दगी,
मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।।

तो क्या हुआ जो वक़्त अभी ये अपने साथ नही,
माना करने को अभी कोई फ़रियाद नही,
पर वक़्त के हाल को कौन जान पाया है,
ankitkumar4492

Ankit Kumar

New Creator

read in the caption.. की याद रख ऐ ज़िन्दगी, मुझसे तू है, तुझसे मैं नही।। तो क्या हुआ जो वक़्त अभी ये अपने साथ नही, माना करने को अभी कोई फ़रियाद नही, पर वक़्त के हाल को कौन जान पाया है, #Poetry