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विहग कलरव , सिंदूरी धरा, पुलकित मन! भवरों की गुंजन

विहग कलरव ,
सिंदूरी धरा,
पुलकित मन!
भवरों की गुंजन,
कली का प्रस्फुटन,
नव उल्लास,
नव उमंग,
तितलियों के रंग,
रवि का आगमन,
लालिमा आह्वान,
रम्य विहान !

 
 #सवेरा
#भोर
#भोरकीबेला
#morning
#yqdidi
#astethicthoughts
#yqquotes
विहग कलरव ,
सिंदूरी धरा,
पुलकित मन!
भवरों की गुंजन,
कली का प्रस्फुटन,
नव उल्लास,
नव उमंग,
तितलियों के रंग,
रवि का आगमन,
लालिमा आह्वान,
रम्य विहान !

 
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