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White मिट गया उजाला, छा गया अमावस का अंधेरा, पत

White 

मिट गया उजाला, छा गया 
अमावस का अंधेरा,
पता ही न चला कब आसमान ने 
चाँद-चकोर को बेच डाला।

बड़े हो रहे थे थोड़े-थोड़े, 
पता ही न चला कब बड़प्पन ने
 प्यारी मासूमियत को बेच डाला।

हँसते थे, मुस्कुराते थे दिनभर,
पता ही न चला कब ग़मों 
ने खुशियों को बेच डाला।

सुबह बेच दी, शाम बेच दी,
सुख-चैन खरीदने कब
 हमने अपनी साँसों को बेच डाला।

तरक्की में खोए थे इस कदर,
पता ही न चला कब हम 
इंसानों ने अपनी 
इंसानियत को बेच डाला।

©Sudha  Betageri #Sudha
White 

मिट गया उजाला, छा गया 
अमावस का अंधेरा,
पता ही न चला कब आसमान ने 
चाँद-चकोर को बेच डाला।

बड़े हो रहे थे थोड़े-थोड़े, 
पता ही न चला कब बड़प्पन ने
 प्यारी मासूमियत को बेच डाला।

हँसते थे, मुस्कुराते थे दिनभर,
पता ही न चला कब ग़मों 
ने खुशियों को बेच डाला।

सुबह बेच दी, शाम बेच दी,
सुख-चैन खरीदने कब
 हमने अपनी साँसों को बेच डाला।

तरक्की में खोए थे इस कदर,
पता ही न चला कब हम 
इंसानों ने अपनी 
इंसानियत को बेच डाला।

©Sudha  Betageri #Sudha