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sudhabetageri6035
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Sudha Betageri

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Sudha Betageri

White यहां कोई निर्दोष नहीं, 
सच्चाई का कोई कोष नहीं ।

लाश बने हैं सब के सब ,
इनमें बचा कोई जोश नहीं ।

पिंढी़यों से चला है आलस,
इसमें इनका दोष नहीं ।

बस जिंदगी ऐसे ही कटेंगी,
इसका इनको होश नहीं ।

©Sudha  Betageri #sudha
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Sudha Betageri

White  सबसे ज्यादा सबको तो 
यूपी की हार चूबी है
समीकरण सही थे ?या 
मेथड गलत निकला.. 
शायद  गुलामी की आदत है उन्हें ,
 और आजादी से दम निकला.... 
अच्छे में अच्छा कम और 
 बुरा  सच्चा निकला... 
तुम निकल पड़े थे,विकास का बीड़ा उठाएं 
पर वह असमंजस जंजाल निकला.....
विकास, नीति, नियम की हार में 
वहां तो जाति का समीकरण निकला..... ,
 थोड़ी सिटे कम जरूर हुई, पर फिर भी 
कमल  ही कमाल निकला.....

©Sudha  Betageri #sudha
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Sudha Betageri

White सबसे ज्यादा सबको तो 
यूपी की हार चूबी है
समीकरण सही थे ?या 
मेथड गलत निकला.. 
शायद  गुलामी की आदत है उन्हें ,
 और आजादी से दम निकला.... 
अच्छे को अच्छा कम और
 बुरे को सच्चा माना... 
तुम निकल पड़े थे, हिंदुत्व का बीड़ा उठाएं 
क्या सच में इतना कठिन है, 
सोए हुए को जगाना?? 
आज हारे तुम नहीं, हिंदुत्व है हारा...
 तुम तो वह कमल हो, जो कीचड़ 
में भी पावन निकला....

©Sudha  Betageri #sudha
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Sudha Betageri

White मैं वो सूरज नहीं, जो शाम के
 बाद ढल जाऊं ।
मैं वो वक्त नहीं, जो हर पल 
बदलता जाऊं। 
मैं वो  राज नहीं, जो
 हरदम दफ़ना जाऊं। 
मैं तो बस एक जरिया हूं, जो हमेशा 
 तेरे मुस्कान की वजह बन जाऊं।

©Sudha  Betageri #Sudha
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Sudha Betageri

White गर्मी बहुत है, सिर फटता जा रहा है।
 बिना दिल के, जिस्मों का बोझ 
यूं धरती पर बढ़ता जा रहा है ।
पेड़ों को काटकर, हरियाली जलाकर
 अब रोने से क्या फायदा? 
अपनी ही गलतियों पर अब 
पछताना पड़ रहा है ।

©Sudha  Betageri #sudha
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Sudha Betageri

White खेलकूद शोर शराबों वाला 
वह बचपन दोबारा मिले। 
मेरी इन ख्वाहिशों को फिर से सहारा मिले। 
वह खेत, वह हरियाली, वह गांव ,
वह दोस्त दोबारा मिले। 
वह प्यार ,वह दूल्हार, वह ममता का 
आंचल फिर से मिले ।
कब तक भागूंगा यूं कठिनाइयों से, 
कहीं तो मुझे भी सुकून का किनारा मिले।

©Sudha  Betageri #sudha
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Sudha Betageri

White खुद को तुम सूरज सा प्रकाशित जरूर बना लेना, 
पर, चांद और चांदनी के अस्तित्व को ना छीन लेना। खुद को तुम समंदर सा विशाल जरूर बना लेना,
 पर तालाब के अस्तित्व को ना छीन लेना।
खुद को तुम बड़ा सा पेड़ जरूर बना लेना, पर छोटी-छोटी बेल के अस्तित्व को ना छीन लेना।

©Sudha  Betageri #sudha
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Sudha Betageri

White भागदौड़ की दुनिया में क्यूं सुकून ढूंढ रहे हो ?
ज़हर की शीशी में क्यूं दवा ढूंढ रहे हो? 
लापता बने हो इस चकाचौंन जिंदगी में 
क्यूं आज खुद ही, खुद को ढूंढ रहे हो?

©Sudha  Betageri
  #Sudha
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Sudha Betageri

White कुछ खास बाकी है, 
तो कुछ प्यास बाकी है ।
कुछ सांस बाकी है, 
तो कुछ आस बाकी है ।
इसलिए तो जी रहे हैं जिंदगी, 
क्योंकि अभी विश्वास बाकी है।

©Sudha  Betageri #sudha
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Sudha Betageri

White कलम कागज़ पर वार कर रही है 
हर एक पंक्तियां दूसरी 
पंक्तियों के क़तार में खड़ी है 
मन में जज्बातों के समंदर उछल रहे हैं 
लफ्ज़ खामोश है, पर मन का 
द्वंद्व बोल रहा है।

©Sudha  Betageri #sudha
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