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बैठ पीठ पर चेतक की जब राणा प्रताप निकलता था। घोड़ा

बैठ पीठ पर चेतक की जब राणा प्रताप निकलता था।
घोड़ा भी अपनी टापों से शोलों सी आग उगलता था।
राणा का भाला जब चलता  था खून चूसता बैरी का।
देखो राणा की बरछी ने रूप धरा था चण्ड़ी का।
रण भेरी का तुमुलनाद सेना में साहस भरता था।
राणा का हर सैनिक फिर मृत्यु दूत बन लड़ता था।
देखो नेजे भांज रहे दुश्मन को धूल चटाने को।
बलिहारी फिर जाते थे मेवाड़ की आन बचाने को।
लाशें थी रण मे बिछी हुई वायस श्रृगाल सुख पाते थे।
नोच नोच कर लाशों को अपनी भूख मिटाते थे।
मृत्यु रक्त की प्यासी हो कर बन  पिशाचिनी घूम रही।
रक्त से प्यास बुझा कर अपनी मस्ती में मौत भी झूम रही।
बही लहू की नदियां देखो रक्तताल फिर बना वहां पर
घायल था चेतक फिर भी राणा की जान बचायी जाकर शौर्य कहानी वीर प्रताप की लिखी हुई तेरे कण कण में।
नमन तुझे  ऐ हल्दी घाटी  जो बनी साक्षी थी उस रण में।

©Kavi Aditya Shukla #MaharanPratap #Nojoto #लाइक
बैठ पीठ पर चेतक की जब राणा प्रताप निकलता था।
घोड़ा भी अपनी टापों से शोलों सी आग उगलता था।
राणा का भाला जब चलता  था खून चूसता बैरी का।
देखो राणा की बरछी ने रूप धरा था चण्ड़ी का।
रण भेरी का तुमुलनाद सेना में साहस भरता था।
राणा का हर सैनिक फिर मृत्यु दूत बन लड़ता था।
देखो नेजे भांज रहे दुश्मन को धूल चटाने को।
बलिहारी फिर जाते थे मेवाड़ की आन बचाने को।
लाशें थी रण मे बिछी हुई वायस श्रृगाल सुख पाते थे।
नोच नोच कर लाशों को अपनी भूख मिटाते थे।
मृत्यु रक्त की प्यासी हो कर बन  पिशाचिनी घूम रही।
रक्त से प्यास बुझा कर अपनी मस्ती में मौत भी झूम रही।
बही लहू की नदियां देखो रक्तताल फिर बना वहां पर
घायल था चेतक फिर भी राणा की जान बचायी जाकर शौर्य कहानी वीर प्रताप की लिखी हुई तेरे कण कण में।
नमन तुझे  ऐ हल्दी घाटी  जो बनी साक्षी थी उस रण में।

©Kavi Aditya Shukla #MaharanPratap #Nojoto #लाइक