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तुम कभी सकारात्मक* सोचकर देखना काँटों के रूप में

तुम कभी सकारात्मक* सोचकर देखना 
काँटों के रूप में  तुम्हे पहरेदार  दिखेगा ।

वो जिनको चुभा है गाली दे के निकले हैं,
गुलाब टूटने से बचेगा तो खिलखिलाता दिखेगा।
*positive
तुम कभी सकारात्मक* सोचकर देखना 
काँटों के रूप में  तुम्हे पहरेदार  दिखेगा ।

वो जिनको चुभा है गाली दे के निकले हैं,
गुलाब टूटने से बचेगा तो खिलखिलाता दिखेगा।
*positive