✍️आज की डायरी✍️ "पढ़कर लफ़्ज़ों को मेरे मुस्कुराया ना करो , हक़ीक़त है या फ़साना आजमाया ना करो । समझ जाओ जो शब्द तभी मशवरा देना , ख़ुद के हिसाब से मतलब समझाया ना करो ।। दर्द का एहसास हो तो दुःखी होना सही होता है , माहौल देखकर आंसुओं को बहाया ना करो ।। ख़ुदा की मर्ज़ी जानकर जो मिला है क़ुबूल करो , उसके आगे अपनी मर्ज़ी चलाया ना करो ।। मुक़द्दर में है तो तुम्हारा हो के रहेगा "नीरज" , अपने पलकों से ख़्वाबों को हटाया ना करो "।। ✍️नीरज✍️ मुस्कुराया ना करो..