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raghvendra7664
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डॉ राघवेन्द्र

विद्यावारिधि(Ph. D) ज्योतिष हस्त रेखा विशेषज्ञ

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डॉ राघवेन्द्र

"महाशिवरात्रि"

शिव की महिमा उन पर ही बरसती है । 
जो अंतर्मन से भक्ति उनकी करता है  ।। 

जीवन में उसको कभी कष्ट नहीं होता  । 
भोले के लिए जो खुद को बदल लेता है ।। 

शंकर की कृपा उन पर ही बनी रहती है । 
उनकी तरह जो दयालुता का भाव रखता है ।। 

भोलेपन पर ही पार्वती भी दिल हार गयी  । 
दानव भी उनकी ही आराधना करता है  ।। 

कहते हैं आज शिव-पार्वती का मिलन हुआ । 
"नीरज"उन चरणों में सुमन अर्पित करता है  ।। 

💐महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं💐

               ✍️नीरज ✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Shiva
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी ✍️

           ✍️गुजरा जमाना.... ✍️

बहुत याद आता है गुजरा जमाना  । 
यारों के संग बैठ हँसना हँसाना  ।। 

चाय के बहाने मिलते थे हम सब  । 
बातों से माहौल हो जाता सुहाना  ।। 

छिड़ जाती थी दास्तां-ए-मोहब्बत । 
मजा आता था दोस्तों को चिढ़ाना  ।। 

उन्हीं लम्हों में दुःख -दर्द भी कहते  । 
लफ़्जों से फ़िर मरहम को लगाना  ।। 

बहुत अरसा हो और मुलाकात न हो । 
कभी कम न होगा हमारा दोस्ताना  ।। 

   ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र
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डॉ राघवेन्द्र

Dear Diary ✍️आज की डायरी✍️

हक़ीक़त क्या है ज़िन्दगी के फ़साने का किसे जानने की चाहत है यहाँ ,

कहानी गढ़ने के लिए लोगों को बस दिलचस्प झूठ की ज़रूरत होती है ।।

                           ✍️ नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #DEAR_DIARY
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️

शराफ़त छोड़कर देखो इस ज़माने में, लोग भुला देगें तुम्हें ,

मशहूर वही हैं इस दौर में जो अक़्सर बदनाम हुआ करते है ।।

                      ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Likho
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डॉ राघवेन्द्र

White ✍️आज की डायरी✍️
            ✍️देर तक ठहर जाते हैं...✍️

खुशियों की फितरत है ये ठहर नहीं पाते हैं ।
एक जख़्म भरता है तो दूसरे उभर आते हैं ।।

दर्द में मुस्कुरा सको वो जज़्बा भी ज़रूरी है ।
कुछ दर्द-ए-गम हैं जो देर तक ठहर जाते हैं।।

तलाशने पर अपने में कमियाँ तमाम मिलती हैं ।
बेवजह ही लोग गैरों पर इल्ज़ाम लगा जाते हैं ।।

त्याग है जहाँ पर वहीं सच्ची मोहब्बत होती है ।
गलत करते हैं वो जो इश्क़ में फ़ना हो जाते हैं ।।

खुशी की चाह है तो ख़ुद से प्यार करो "नीरज",
हँसकर जीने वाले ही ज़िन्दगी को जी पाते हैं"।।

              ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #good_night
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डॉ राघवेन्द्र

Unsplash ✍️आज की डायरी✍️

            मुझे शिद्दत से पढ़ना होगा तुम्हें.. ✍️

हर पन्ने को पलटने से जो समझ आये, वो किताब बन गया हूँ मैं । 
सफ़र -ए-ज़िन्दगी को समझने के लिये, मुझे शिद्दत से पढ़ना होगा तुम्हें ।।

मेरी खामोशी, बेबसी, दर्द और मुस्कुराहट को जानने के लिए  । 
थोड़ा वक़्त अपना निकालकर बस मेरे साथ रहना होगा तुम्हें ।। 

इस सफ़र में मेरे, कई दिलचस्प कहानियां भी मिलेंगी तुम्हें  । 
कलम के साथ बैठो कुछ मशहूर किस्से लिखना होगा तुम्हें  ।। 

भूल जाओगे अपने तमाम दुःख-दर्द बस एक मुलाकात में  । 
दूसरों के तकलीफ को दिल से महसूस करना होगा तुम्हें  ।। 

मुझे मालूम है किस्मत और कर्म का खेल निराला है "नीरज" । 
सफलता के लिए मग़र इनमें उलझने से बचना होगा तुम्हें  ।। 

                   ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Book
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी ✍️

    ✍️ Long distance love.... ✍️

कभी न कभी याद करता तो होगा  । 
हमें सोचकर वो मुस्कुराता तो होगा  ।। 

बिछड़ने का गम वो बताये नहीं भी  । 
आँखों से अश्कों को बहाता तो होगा  ।। 

 वफ़ा करने वालों की जब बात होगी  । 
ओठों पर मेरा नाम आता तो होगा  ।। 

मजबूरियाँ थी जो यूँ दूर हो गए हम  । 
जमाने को ये बात समझाता तो होगा  ।। 

लिखा था जो उसको रूबरू बिठाकर  । 
उन गीतों को अब भी गुनगुनाता तो होगा  ।। 

              ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #lovebirds
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️

"फ़िक्र गुज़रे हुए वक़्त का कब तक करोगे तुम ,
जो मुश्किलें हैं उनसे आख़िर कबतक डरोगे तुम ।

दुश्मन से मिलकर जीते तो "जयचन्द" कहलाओगे ,
 लड़ कर के जो जीत मिली तो "सिकंदर" बनोगे तुम ।।

                        ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Likho
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डॉ राघवेन्द्र

💐 गणतंत्र दिवस 💐

तमाम प्रयासों से हमारा संविधान बड़ा हुआ है । 

 वक्त के साथ इसमें हमारा विश्वास गहरा हुआ है ।। 

  कोशिशें कितनी भी हो इसे कमज़ोर करने की । 

 गहरी जड़ों के साथ ये मजबूती से खड़ा हुआ है ।।

   कई विधान हैं इसमें जो हममें एकता बनाए हैं । 

  ऐसे नियमों से हमारा ये संविधान भरा हुआ है ।।

    "🇮🇳गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🇮🇳

                     ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #RepublicDay
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डॉ राघवेन्द्र

✍️ आज की डायरी✍️

         ✍️सम्हलना आना चाहिए हमें...✍️

हर बात की अहमियत समझ आना चाहिए हमें । 
आलोचनाओं को कभी कभी अपनाना चाहिए हमें ।। 

ठेस लगती है बहुत जब अपनों का विश्वास खोता है । 
उसी विश्वास को फ़िर से दिलाना आना चाहिए हमें ।।

वक़्त की रफ़्तार से घबराना कोई अच्छी बात नहीं । 
बदलते वक़्त के साथ भी चलना आना चाहिए हमें ।।

कठिन रास्ते हो तो लड़खड़ाना भी ज़रूर होता है । 
मंज़िल -ए -सफ़र में सम्हलना आना चाहिए हमें ।।

लिखे को बदल पाना मुश्किल है ये सच बात है लेकिन  । 
मिट गयी रेखाओं को फ़िर से बनाना आना चाहिए हमें ।।

                              ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Likho
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