ज़ब चिल्ला कर मैंने कहा " ये ज़मीन मेरी. आसमान भी मेरा हैँ " यह सुन कर जगत नारायण की नींद उड़ती हुई दिख रही हैँ लगातार पटखनी खाता रहा वो बाहुबली उस अखाड़े मे अब तों उसकी कुशाग्र मूचो पर भी गांज़ गिरी हुई दिख. रही हैँ रेंगती हुई बदनसीब जिंदगीयों को क्रांति के सब्ज बाग़ दिखाये जा रहे जबकि सतही . पायदान. पर शोषण की परते. बिछी हुई दिख रही हैँ ये लबो पर तब्बसुमऔर नज़र मे शोखी आई कहा से. अब तों बुझे चिरागो मे भी रौशनी की चमकीली सोगाते दिख रही हैँ ©Parasram Arora रौशनी की सौगाते दिख रही हैँ.....