वो सिकंदर हो या पीर-ओ-फ़क़ीर पलट के सब जाते हैं मिट्टी में आज दफ़्न हैं ख़ामोश हैं जो थे कल शाह-ए-ज़माना पनाह आख़िर में सभी मांगते नज़र आते हैं मिट्टी में musings - 11/11/18