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वक्त के साथ ,थोड़ा बदल गई मैं पर झली थी और झली सी

वक्त के साथ ,थोड़ा बदल गई मैं 
पर झली थी और झली सी रह गई मैं

वक्त के साथ , बहुत कुछ जाना मैंने 
पर पागल थी और पागल सी रह गई मैं


वक्त के साथ , तेवर बदले मैने 
पर नादान थी और नादान ही रह गई मैं

वक्त के साथ ,सब कुछ बदल गया 
पर  मोहब्बत थी ,उससे ,और उसी की होकर रह गई मैं उसी की होकर रह गई मैं#poetry
वक्त के साथ ,थोड़ा बदल गई मैं 
पर झली थी और झली सी रह गई मैं

वक्त के साथ , बहुत कुछ जाना मैंने 
पर पागल थी और पागल सी रह गई मैं


वक्त के साथ , तेवर बदले मैने 
पर नादान थी और नादान ही रह गई मैं

वक्त के साथ ,सब कुछ बदल गया 
पर  मोहब्बत थी ,उससे ,और उसी की होकर रह गई मैं उसी की होकर रह गई मैं#poetry

उसी की होकर रह गई मैंpoetry #poem