White हर गुजरता साल कोई ना कोई सीख -सिखा ही देता है और उस सीख से हम थोड़े और परिपक्व बन जाते है ज़िंदगी भर ये सिलसिला यूं ही साल दर साल चलता है तब तक,जब तक हम इस ज़िंदगी की डोर से बंधे हुए है ये सीखना ,सिखाना बस एक पल में बंद हो जाता है जब कोई इंसान*है * से *था * में तब्दील हो जाता है। ©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat