राजनीति की बात बताऊं।। तुम हो मेरे और मैं हूँ तेरा, कानों में एक बात बताऊं मैं, बड़ी अनोखी राजनीति है, तुम्हे इसका स्वाद चखाऊँ मैं। महिला का अपमान है होता, जनता बैठ बजाती ताली, इस युग मे भी बैठ यहां, तुम्हे महाभारत याद कराऊं मैं। धृतराष्ट्र अकेला अंधा था, अब पांडव भी मूक बधिर हुए, हो रही द्रौपदी रोज है नँगी, अब कृष्ण कहाँ से लाउं मैं। भीष्म पितामह राजभक्त थे, अब जनता उनका पर्याय है, किस मुख बोलो, इस जनता को राजधर्म सिखलाऊँ मैं। अश्वत्थामा लहु से लथपथ, फिर भी भ्रूण निशाना है, जो इस पापी को मार सके ब्रह्मास्त्र वो कैसे चलाऊँ मैं। दुर्योधन भी लगाए ठहाका, शकुनि है पासा फेंक रहा, धर्मराज बोली है लगाता, क्यूँ अब रोक उसे ना पाऊँ मैं। कपटी धृष्टद्युम्न की फौज खड़ी, द्रोण पड़े बिन माथा हैं, कैसे मैं संजय हो जाऊं, उसकी दृष्टि कहाँ से लाऊं मैं। कौन है पंडित कौन मौलवी, माला और तसबीह बिके हैं, अल्लाह ईश्वर नीलाम हुए, बोलो चैन कहाँ अब पाऊँ मैं। ©रजनीश "स्वछंद" राजनीति की बात बताऊं।। तुम हो मेरे और मैं हूँ तेरा, कानों में एक बात बताऊं मैं, बड़ी अनोखी राजनीति है, तुम्हे इसका स्वाद चखाऊँ मैं। महिला का अपमान है होता, जनता बैठ बजाती ताली, इस युग मे भी बैठ यहां, तुम्हे महाभारत याद कराऊं मैं।