तेरी कहानी में बड़ी शिद्दत से अपना किस्सा ढूँढ़ रही हूँ मैं, बेलफ़्ज़ हो गई हूँ तेरी ख़ामोशी में कुछ लफ़्ज़ ढूँढ़ते-ढूँढ़ते। जिनके किस्से किये बयाँ उनके लिए वो सिर्फ़ अल्फ़ाज़ हैं, लफ़्ज़² में छुपी ज़िंदगी जाने कितने छुपे कल और आज हैं, तेरी आँखों में बड़ी मुद्दत से अपने कई ख़्वाब ढूँढ़ रही हूँ मैं, बेलफ़्ज़ हो गई हूँ तेरी ख़ामोशी में कुछ लफ़्ज़ ढूँढ़ते-ढूँढ़ते। मुझे कहाँ कुछ जताना आता, ये तो तू है जो एहसास में है, झलक ही आती है तू अक्सर, एक तू ही तो जो ख़ास में है, तेरी मजबूरी में बड़ी शराफ़त से अपना हक ढूँढ़ रही हूँ मैं, बेलफ़्ज़ हो गई हूँ तेरी ख़ामोशी में कुछ लफ़्ज़ ढूँढ़ते-ढूँढ़ते। तेरे लफ़्ज़, उम्मीद, आँसू, दर्द, हँसी, जाने क्या² जोड़ती हूँ, इन सबसे बना अपने लिए तेरे दिल में घर उसे सँवारती हूँ, तेरी आदत में बड़ी चाहत से अपना भी लम्हा ढूँढ़ रही हूँ मैं, बेलफ़्ज़ हो गई हूँ तेरी ख़ामोशी में कुछ लफ्ज़ ढूँढ़ते-ढूँढ़ते। -संगीता पाटीदार 'धुन' Rest Zone आज का शब्द 'घर' #rzmph #rzmph236 #घर #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #restzone #rzwotm #rzsangeetadhun