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कोई रूठा है इस कदर आखरी सांस हो जैसे भीगे पलको पर

कोई रूठा है इस कदर आखरी सांस हो जैसे
भीगे पलको पर बरसात हो जैसे
दर्द फिर हरा हो गया जैसे 
तनहाई का फिर दौर हो
मैं तो था उसका मगर पर फिर भी 
उसके लिये मेरा प्यार अब भी गैर हो...
मिटा दूँ ये दुरियाँ मगर उन्हे खुद पर भरोसा न था
तभी तो शिशे को उन्होने बहरूपिया कह दिया😓

©Vishal Singh #bahrupiya
कोई रूठा है इस कदर आखरी सांस हो जैसे
भीगे पलको पर बरसात हो जैसे
दर्द फिर हरा हो गया जैसे 
तनहाई का फिर दौर हो
मैं तो था उसका मगर पर फिर भी 
उसके लिये मेरा प्यार अब भी गैर हो...
मिटा दूँ ये दुरियाँ मगर उन्हे खुद पर भरोसा न था
तभी तो शिशे को उन्होने बहरूपिया कह दिया😓

©Vishal Singh #bahrupiya
vishalsingh3979

Vishal Singh

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