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मिहिर रोज की तरह अपने ऑफिस के काम को निपटाने के बाद जिन्दगी को गरियाते हुये भगवान से "हे भगवान मुझे बड़ा क्यू कर दिया" मुझे फिर से मेरे बचपन मे पहुँचा दो" कहते हुये सो गया ।
दूसरे दिन जब वो उठा तो झट से खुद का चेहरा देखने के लिये शीशे के पास दौड़ा और फिर एक कैलेण्डर जिसमे भगवान की तस्वीर थी उसको ऐसी नज़र से देखा जैसे भगवान ने कोई पुराना कर्जा लेकर अभी तक न चुकाया हो।
खैर मायूस से मन को लेकर वो ऑफिस के लिये तैयार होकर निकल लिया। रास्ते मे एक सक़री सी गली के पास एक पेड़ कट रहा था उसने अपनी स्कूटी एकाएक वहॉ रोक दी जहॉ से आगे एक तालाब था जहॉ के डरवाने किस्से लोग एक दूसरे को सुनाया करते थे। मिहिर मन ही मन मे हँसा और सोचा कि कैसे वो अपने स्कूल की दीवार को फांद कर तालाब के पास लगे बैर और अमरूद खाने आता था।और ये लोग आज भी तालाब के पास जाने से डरते है ।
इन सब ख्यालो को हटाते हुये मिहिर अपने ऑफिस की तरफ चला गया।
शाम को ऑफिस से थक-हार कर लौटते वक उसकी नज़र उस गली के पास खड़े एक काफी पुराने चाट वाले के ठेले पर पड़ी ।उसने अपनी स्कूटी एक किनारे लगायी और चाट खाने के लिये ठेले पर जाने लगा इतने मे चाट वाला अपना ठेला लेकर गली में चल दिया
।मिहिर उसके पीछे आवाज लगाते हुये भागता रहा।पर ठेला वाला गली मे जाके कही गुम सा हो गया। और मिहिर उसके पीछे चलते चलते अपनी स्कूल की बाउन्डरी और तालाब के पास पहुँच गया
।उसने देखा कि स्कूल की उस बाउन्डरी जिसको फांद को वो बचपन मे तालाब के पास आता था उसको तोड़ कर अब एक गेट बना दिया गया है।