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Shivanshi Seema Chakarvarti

White जीवन साथी 

जीवन साथी इतना 
भरोसा करने वाला होना चाहिए !
की जब पूरी दुनिया 
आपकी बुराई कर रही हो 
तब भी वो आपके साथ खड़ा हो !
भले ही ना लड़े वो 
दुनिया से आपके लिए 
पर आपको दुनिया के सामने हौसला तो दे!
जब आपका परिवार ही आपका साथ ना दे 
तब आपका जीवन साथी 
आपके साथ खड़ा हो !
और आपके खिलाफ कही गई
 हर कड़वी बात का जवाब 
आपके सम्मान को बचाने के लिएआपसे पहले
 आपका जीवनसाथी ही  दे !!

©Shivanshi Seema Chakarvarti #love_shayari 
जीवन साथी
#yqbaba #yqtales #yqhindishayari #yqhindishayari #yq_gudiya #yqfilms #yq2liners

Shivanshi Seema Chakarvarti

Feeling of Beach at Kanpur #yqbaba #yqtales #yqhindishayari #yq_gudiya #yqfilms #yqtales  #yq_मन

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Shivanshi Seema Chakarvarti

Shivanshi Seema Chakarvarti

payal jaswal

When I was eight years old, my dad told me to face everything head-on,
But I failed in an examination and ran away from the home,
I was younger back then and couldn't understand the depth of his words.

When I was twelve years old, God took my best friend back.
I locked myself in a room and cried for days.
My dad told me, "Yusuf is between us as an angel."
And, I still feel his presence in the empty cathedral on roadside.

When I was sixteen years old, cupid hit me hard.
I fell for her, and she played with my heart like a pack of cards,
My dad told me,"Even if you're in pieces, don't you dare to shed even a single tear."

And now I am twenty years old, driving alone on the road, wind hitting against my face, 
Running away from the interweaved mangle of troubles to the hills on countryside,
I reached, drowned in my thoughts, on the coffee shop, 
The old hands served me coffee and asked me, "Do you need me to rescue you from troubles like before, son?" #yqbaba #filmwriter2 #yqfilms

Adyasha Priyadarshini D

ସହରର ଭିଡକୁ ଆଡେଇ 
ଜୀବନକୁ ଜଞ୍ଜାଳଠୁ କଢେଇ 
କିଛି ମୂହୁର୍ତ୍ତ ପାଇଁ ପଛେ 
ସବୁକିଛି ପଛରେ ପକାଇ 
ଆଗେଇ ଚାଲିଛି ମୁଁ ।
ସାଥୀ ସାଜିଛି ଏବେ ମୋର ଏଇ ମୋଟର ସାଇକେଲ 
ଆଉ ଅଧା ଛଡା ଚୂନ ଲିପା ରାଜରାସ୍ତା ।
ସତରେ,
କେତେ ହାଲକା ଲାଗୁଛି 
କେତେ ଭଲ ଲାଗୁଛି ମୋ ଏକାକୀତ୍ୱ ଆଜି
ସହରର ଭିଡ ଭରା ଶୂନ୍ୟତା ଠାରୁ ।
ରାସ୍ତା କଡ ବର୍ଷା ହୋଟେଲ ରେ ଢୁଳାଇ ପଡିଛି ବଟ ନନା 
ନବ ଗ୍ୟାରେଜ୍ ରୁ ଭାସି ଆସୁଛି ରେଞ୍ଚି-ପେଚକସ୍ ର ଶବ୍ଦ 
ସେଇ ଫାଷ୍ଟ୍ ଫୁଡ୍ ଦୋକାନର ଆନନ୍ଦ ଭାଇ ହାତ ଠାରି ଡାକୁଛି
ଆଉ ସେଇ ବରଗଛ ତଳେ ସବୁଦିନ ପରି
ବସିଛି ଉକୁଣିମୁଣ୍ଡି ମିଲି ବାଇଆଣି 
ମୋତେ ଦେଖି ଦାନ୍ତ ନିକୁଟି ହସୁଛି ।
ହେଲେ, ଆଜି ସମସ୍ତଙ୍କଠୁ ଦୂରେଇ ଯିବାରେ ଶାନ୍ତି 
ମୋ ମନ କହୁଛି
ମୃଦୁ ମଳୟ ବି ସତେ ଯେମିତି ବାଟ କଢାଇ ନେଉଛି ।
ଆଜି ସତେ ପକ୍ଷୀରାଜ ଘୋଡା ସାଜି 
ମୋଟର ସାଇକେଲ ମୋର ବେଗ ବଢାଇ ଦେଇଛି।
ଏଇତ, ପହଞ୍ଚି ଗଲି ଆସି
ହେଭେନ୍ ଇଜ୍ ହିଅର କଫି ସପ୍ ରେ
କଫି କପ୍ ରୁ ସୁଡୁକେ ସୁଡୁକେ ନେଉ ନେଉ
ମୋ ହାଲଚାଲ ପଚାରୁଛନ୍ତି 
ପାଖ କଲୋନୀର ବେହେରା ବାବୁ ଓ ହୋତା ବାବୁ 
ଆଉ ଦୋକାନୀ ମୋତେ ଦେଖି ଗଡ ଜିତିଲା ହସ ହସୁଛି ।
ସତେ ଯେମିତି ସେ ମୋତେ ବିଦ୍ରୁପ କରୁଛି 
ଆସିଗଲା ଆଉ ଗୋଟିଏ ବକରା ମୋ କଫିରେ ହଲାଲ୍ ହେବାକୁ । #yqbaba #YQdidi #filmwriter2 
#YQBhaina 
#MunOdia #yourquoteodia 
#yqfilm #yqfilms

Dhruv Kayasth

#Stones #Shorts #yqfilms #script Fade in. [A natural lake with some trees around, middle of the day, a boy and a girl sitting on the shore. Throwing stones in the lake and chatting leasurily] Boy (casually) So, he pulls your leg too?

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Stones. A slice of life, conversational short. 
Please Read the caption.
 #stones #shorts #yqfilms #script
Fade in.

[A natural lake with some trees around, middle of the day, a boy and a girl sitting on the shore. Throwing stones in the lake and chatting leasurily]

Boy (casually)
So, he pulls your leg too?

इकराश़

Shraddha जी। ये आपकी वजह से है और आपके लिये है। शुक्रिया प्रेरित करने के लिये की इसे मैं आगे बढ़ा सकूँ। इसके पहले के भाग पढ़ने के लिये #EkNaaMuqammalDaastaan इस लिंक पर आप क्लिक कर सकते हैं। ******************************* वो अपनी नई ऑफ़िस में एच आर डिपार्टमेंट में फॉर्म भर रहा था। जोइनिंग फोर्मलिटीज़ पूरी कर रहा था जब एक मैसेज नोटिफ़िकेशन आया उसके फेसबुक मेसेंज़र पर।

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एक नामुकम्मल दास्तां

(भाग: पंचम (प्रथम) )

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**'मध्यांतर' के बाद की कहानी ज़ारी है। Shraddha जी। ये आपकी वजह से है और आपके लिये है। शुक्रिया प्रेरित करने के लिये की इसे मैं आगे बढ़ा सकूँ।

इसके पहले के भाग पढ़ने के लिये #eknaamuqammaldaastaan इस लिंक पर आप क्लिक कर सकते हैं।

*******************************

वो अपनी नई ऑफ़िस में एच आर डिपार्टमेंट में फॉर्म भर रहा था। जोइनिंग फोर्मलिटीज़ पूरी कर रहा था जब एक मैसेज नोटिफ़िकेशन आया उसके फेसबुक मेसेंज़र पर।

इकराश़

'दुनिया से दूर जा रहा हूँ, माँ तेरे पास आ रहा हूँ। मैं भी ये गीत गा रहा हूँ, माँ शेरावालिये,माँ मेहरावालिये, ऊँचे पहाड़ावालिये।' बस यही गुनगुना रहा था वो, और चलता जा रहा था लगातार। अट्ठारह किलोमिटर लम्बी चढ़ाई थी माँ वैष्णो देवी के द्वारे की। पैरों में तक़लीफ हो रही थी पर मन अडिग था उसका। एक हाथ में सिंदूर की डिबीया थी छोटी सी जिसे वो कस के हाथों में दबा कर आगे बढ़ रहा था माता रानी से मिलने। उसे शायद कोई होश ही नहीं था। जुबां और दिल में माँ का नाम था और यादों में बीते हुए दस महीने। हाँ दस महीने ह

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एक नामुकम्मल दास्तां

(भाग: चतुर्थ )

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**ये भाग 'मध्यांतर' है। सूकून से पढ़ियेगा। 'दुनिया से दूर जा रहा हूँ, माँ तेरे पास आ रहा हूँ। मैं भी ये गीत गा रहा हूँ, माँ शेरावालिये,माँ मेहरावालिये, ऊँचे पहाड़ावालिये।'

बस यही गुनगुना रहा था वो, और चलता जा रहा था लगातार। अट्ठारह किलोमिटर लम्बी चढ़ाई थी माँ वैष्णो देवी के द्वारे की। पैरों में तक़लीफ हो रही थी पर मन अडिग था उसका। एक हाथ में सिंदूर की डिबीया थी छोटी सी जिसे वो कस के हाथों में दबा कर आगे बढ़ रहा था माता रानी से मिलने। उसे शायद कोई होश ही नहीं था। जुबां और दिल में माँ का नाम था और यादों में बीते हुए दस महीने।

हाँ दस महीने ह

इकराश़

बात बहुत बड़ी थी। लेकिन उसके लिए वो इतनी बड़ी वजह भी नहीं बन सकती थी कि, वो अपनी जान को छोड़ दे। उसने अपनी जान से कहा कि वो चिंता ना करे, वो उससे बहुत प्यार करता है, और हमेशा करेगा और पूरी ज़िन्दगी में कभी भी ये बात उन दोनों के रिश्ते पे असर नहीं डालेगी। वो अब भी रोते जा रही थी। जिसकी आँखों में वो एक बूँद आँसू नहीं देख सकता था, वो उसके सामने रोये जा रही थी। और वो कुछ भी ना कर पा रहा था। क्या करें वो? जल्दी ही उसे तरक़ीब ढूँढनी थी। पता नहीं अचानक क्या हुआ कि उसने कहा, "जान रोना बंद कर दो, वरना कान के

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एक नामुकम्मल दास्तां

(भाग: तृतीय (द्वितिय))

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**ये भाग ज़रा लम्बा है। इत्मिनान से पढ़ियेगा। बात बहुत बड़ी थी। लेकिन उसके लिए वो इतनी बड़ी वजह भी नहीं बन सकती थी कि, वो अपनी जान को छोड़ दे। उसने अपनी जान से कहा कि वो चिंता ना करे, वो उससे बहुत प्यार करता है, और हमेशा करेगा और पूरी ज़िन्दगी में कभी भी ये बात उन दोनों के रिश्ते पे असर नहीं डालेगी। वो अब भी रोते जा रही थी। जिसकी आँखों में वो एक बूँद आँसू नहीं देख सकता था, वो उसके सामने रोये जा रही थी। और वो कुछ भी ना कर पा रहा था। क्या करें वो? जल्दी ही उसे तरक़ीब ढूँढनी थी। पता नहीं अचानक क्या हुआ कि उसने कहा, "जान रोना बंद कर दो, वरना कान के
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